बाबा विश्वनाथ, मां जगदीशीला डोली का मसूरी पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने भव्य स्वागत किया।
मसूरी।
बाबा विश्वनाथ व मां जगदीशिला की एक महीना चलने वाली डोली रथ यात्रा का मसूरी पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने जोरदार स्वागत किया गया। डोली को शहीद भगत ंिसंह चौक से श्री राधाकृष्ण मंदिर तक पारपंरिक वाद्ययंत्रों के साथ श्रद्धालु कंधों पर जयकारों के बीच उठाकर ले गये व मंदिर में पहुचने पर विशेष पूजा अर्चना की गई।
बाबा विश्वनाथ मां जगदीशिला की डोली राधाकृष्ण मंदिर पहुचने पर भक्तो ने डोली के दर्शन किए व भजन कीर्तन किए। इस मौके पर पारंपरिक वाद्ययंत्रों की थाप पर डोली को नचाया गया व डोली ने अपनी शक्ति से भक्तों को आशीर्वाद दिया। इस मौके पर प्रदेश के पूर्व काबीना मत्रंी मंत्री प्रसाद नैथानी के नेतृत्व में डोली मसूरी आयी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यात्रा का चौथा चरण मसरी में संपन्न हो गया। यह यात्रा गत 26 वर्षो से लगातार आयोजित की जा रही है व इस बार भी साढे दस हजार किमी की दूरी तय करेगी।डोली का उददेश्य है कि विश्व में शांति बनी रहे व श्रद्धालुओं पर कृपा बनी रहे। वहीं संस्कृतिक व पर्यावरण की रक्षा हो सके। उन्होंने कहा कि यात्रा के माध्यम से आतंकवाद से मारे गये लोगों की आत्मा को शांति मिले। इस मौके पर उन्होंने कहाकि जिस तरह से गंगा की आरती होती है उसी तरह से हिमालय की आरती होनी चाहिए व इसका श्रेय मसूरी को जाना चाहिए व यहंा से आरती का आगाज होना चाहिए। इस मौके पर मौजूद पालिकाध्यक्ष मीरा सकलानी ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि डोली के दर्शन हुए। उन्होने इस मौके पर कहा कि हिमालय की आरती आज तक नहीं हुई है और नैथानी जी ने जो कहा उसका मसूरी से आगाज करने का प्रयास किया जायेगा इसके लिए पहले स्थान का चयन किया जायेगा व शहर के संभ्रात व्यक्तियों के मार्ग दर्शन के बाद हिमालय आरती का शुभारंभ करने का प्रयास किया जायेगा। इस मौके पर पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन ंिसह मल्ल, पालिका सभासद रूचिता गुप्ता, सतीश ढौडियाल, अरविंद सेमवाल, प्रदीप सिंगरोहा, भगवान सिंह धनाई, राजेश गुप्ता, मंदिर के पुजारी परशुराम भटट, आशीष भट्ट, राजेश मल्ल, राजीव अग्रवाल, बीना मल्ल, जशोदा शर्मा, रजत अग्रवाल, भगवती प्रसाद कुकरेती, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। रात्रि विश्राम के बाद सुबह डोली का श्रंृगार किया गया व उसके बाद डोली ने श्रद्धालुओं को दर्शन दिए व उसके बाद अगले गंतव्य के लिए थत्यूड रवाना हो गई।
संपादक: देव उनियाल